कृपाशंकर चौबे को मिला प्रभाष जोशी स्मृति पत्रकारिता सम्मान

वर्धा/संवाददाता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति, रायबरेली ने आज रात पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के जाने-माने पत्रकार कृपाशंकर चौबे को प्रभाष जोशी स्मृति पत्रकारिता सम्मान से विभूषित किया। श्री चौबे को यह सम्मान आज रात यहां द्विवेदी मेले में स्मृति चिन्ह देकर, शाल ओ़ढाकर और माल्यार्पण कर किया गया। यह संयोग है कि श्री चौबे बारह वर्षों तक प्रभाष जोशी के सहयोगी के रूप में “जनसत्ता’ में काम कर चुके हैं। १९६४ में बलिया (उत्तर प्रदेश) के चैनछपरा गांव में जन्मे कृपाशंकर चौबे ने बर्दवान विेशविद्यालय से हिंदी में एमए और “हिंदी पत्रकारिताः परिवर्तन और प्रवृत्तियां’ पर पीएच. डी. की। उन्होंने ढाई दशकों तक “जनसत्ता’, “हिंदुस्तान’, “सहारा समय’, “सन्मार्ग’, “प्रभात खबर’, “स्वतंत्र भारत’ तथा “आज’ में पत्रकारिता की। वे जुलाई २००९ में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विेशविद्यालय, वर्धा में पूर्णकालिक अध्यापक बन गए। संप्रति वे वहां जनसंचार विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष हैं।

प्रो. चौबे ने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें प्रमुख हैं- “पत्रकारिता के उत्तर आधुनिक चरण’, “संवाद चलता रहे’, “रंग, स्वर और शब्द’ (तीनों वाणी प्रकाशन, दिल्ली), “महाअरण्य की मां’, “मृणाल सेन का छायालोक’, “करुणामूर्ति मदर टेरेसा’ (तीनों आधार प्रकाशन, पंचकूला, हरियाणा), “समाज, संस्कृति और समय’, “मीडिया संस्कृति समय’ (दोनों प्रकाशन संस्थान, दिल्ली), “दलित आंदोलन और बांग्ला साहित्य’ (नई किताब, दिल्ली), “नजरबंद तसलीमा’ (शिल्पायन, दिल्ली), “पानी रे पानी’ (आनंद प्रकाशन, कोलकाता), “चलकर आए शब्द’ (राजकमल प्रकाशन, दिल्ली) और “राष्ट्र निर्माताओं की पत्रकारिता’ (प्रलेक, मुंबई)। प्रो. चौबे ने कई किताबों का संपादन भी किया है जिनमें प्रमुख हैं-“मैं जो देखती हूं’ (महोशेता देवी), “महोशेता संवाद’, “चंद्रशेखर के विचार’ (हरिवंश के साथ), “प्रमोद कुमार समग्र’ (द्वितीय खंड), “हजारीप्रसाद द्विवेदीः ज्ञान का आलोक पर्व’, “विरल सारस्वत साधना’ तथा “हिंदी और पूर्वोत्तर’। इसके अलावा पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रकाशित दस स्कूली पाठ्य पुस्तकों का भी उन्होंने संपादन किया है। प्रो. चौबे ने २००३ से २००६ तक बांग्ला मासिक “भाषाबंधन’ तथा २००७ से २०१२ तक बांग्ला त्रैमासिक “वर्तिका’ का अवैतनिक संपादन किया। २०२० से वे “बहुवचन’ के समन्वयक संपादक हैं। कृपाशंकर चौबे ने लगभग दो दर्जन वृत्त चित्रों व दृश्य श्रव्य शैक्षणिक कार्यक्रमों का निर्माण, पटकथा लेखन व निर्देशन भी किया है।