पं. दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि है भारतीय दर्शन पर आधारित- प्रो. गोरखनाथ मिश्र

वर्धा/संवाददाता आμजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विेशविद्यालय, वर्धा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की १०६ वीं जयंती के अवसर पर २६ सितंबर को “अंत्योदय एवं एकात्म मानवदर्शन : दीनदयाल उपाध्याय’ विषय पर सम्मिश्र पद्धति से विशिष्ट व्याख्यान में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए गोवा विेशविद्यालय के दर्शन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. गोरखनाथ मिश्र ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि भारतीय दर्शन पर आधारित है। विेशविद्यालय के महादेवी वर्मा सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता विेशविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने की। प्रो. गोरखनाथ मिश्र ने पं. दीनदयाल उपाध्याय की अर्थनीति पर प्रकाश ़डालते हुए कहा कि उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति को ध्यान में रखकर उनके विकास को केंद्र में रखा। वे सबको एकसमान मानते थे। आज की सरकार उनकी नीतियों पर ही चल रही है। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानवदर्शन धर्म का निर्वचन है, वह महात्मा गांधी की सर्वोदय की अवधारणा को स्वीकार करता है। यह दर्शन चेतना के विकास का सोपानीकरण है और इसके केंद्र में मनुष्य है।

मानव दर्शन के आधार पर जो विकास की अवधारणा बनती है वह सर्वोदय की अवधारणा है, जो अंत्योदय की अवधारणा के द्वारा क्रियान्वित होती है, फलितार्थता को प्राप्त करती है। प्रो. शुक्ल ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि में अंतिम व्यक्ति के उत्थान का विचार ही अंत्योदय है। उनके विचार में ‘मैं से हम’, कमाने वाला खिलाएगा, श्रम क्षमता के अनुसार एवं पारिश्रमिक आवश्यकतानुसार हो, सर्वोदय है। कार्यक्रम की शुरूआत दीप दीपन, कुलगीत एवं शोधार्थी चंदन मिश्र द्वारा भारत वंदना की प्रस्तुति से की गयी। अतिथियों ने पं. दीनदयाल उपाध्याय के फोटो पर पुष्प अर्पित कर अभिवादन किया। स्वागत वक्तव्य दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डॉ. जयंत उपाध्याय ने दिया। उन्होंने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय ने भारत को शक्तिशाली बनाने का प्रयास किया। कार्यक्रम का संचालन दर्शन एवं संस्कृति विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय ने किया तथा गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, आवासीय लेखक प्रो. रामजी तिवारी, प्रो. कृपाशंकर चौबे, प्रो. कृष्ण कुमार सिंह, प्रो. अवधेश कुमार, प्रो. प्रीति सागर, प्रो. अनिल कुमार राय, डॉ. रामानुज अस्थाना, डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी, डॉ. हरीश हुनगुंद, डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. वीर पाल सिंह यादव सहित अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। विेशविद्यालय के प्रयागराज, कोलकाता एवं रिद्धपुर केंद्र के अध्यापक एवं विद्यार्थी कारंजा (घा.)/प्रतिनिधी ऑनलाइन जु़डे थे।