अभिलेखागारों में हमारा इतिहास ध़डकन की तरह सुरक्षित है- कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह

वर्धा/संवाददाता महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र, झूंसी, प्रयागराज म सामवार, २२ जलाइ का भारतीय ज्ञान परंपरा क सवर्धन म अभिलेखागारों की भूमिका विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय, नई दिल्ली में कार्यरत डॉ. नरेन्द्र शुक्ला उपस्थित रहे। अपने व्याख्यान में डॉ. शुक्ला ने अभिलेखागार की निर्मिति पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में मस्तिष्क एक अभिलेखागार की तरह है। काल खण्ड का विभाजन करते हए उन्हान कहा कि बीता हआ कल कंक्रीट की तरह होता है। भारतीय ज्ञान परंपरा में मूल्यों के परिवर्तन की बात की गई है ना कि व्यक्तिनिष्ठ परिवर्तन की। विरोध का स्वर कला से शुरू होता है। भारत के जनजागरण इतिहास को ड्रामा के चश्मे से देखने की जरुरत है। उन्होंने भारतीय स्वाधीनता सगाम म अखबारा की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। सन् १९०५ से १९३५ का समय ज्ञान परंपरा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ब़ढने से लोकतंत्र की स्वतंत्रता ब़ढती है।

डॉ. शुक्ला ने कहा कि इतिहास के भी अपने टूल्स हैं जिसके द्वारा ज्ञान का संयोजन एवं संवर्धन किया जाता है। इस अवसर पर आभासी माध्यम से जु़डे माननीय कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में स्मृति की केंद्रीय भूमिका है। भारतीय ज्ञान परंपरा म सामहिक स्मति का मानस म एव पीि़ढयों से चले आ रहे ज्ञान को संजोकर रखा गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा ने सामूहिक स्मृति की परंपरा को सुरक्षित रखने का काम किया है। भारतीय नवजागरण के साथ साथ हिंदी नवजागरण में भी अभिलेखागारों की सार्थक भूमिका रही है। अभिलेखागारों में हमारा इतिहास ध़डकन की तरह सुरक्षित है।

क्षेत्रीय केंद्र, प्रयागराज के अकादमिक निदेशक प्रो. दिगंबर तंगलवा़ड ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि जो चिरंतर है वही निरंतर है और जो निरंतर है वही सनातन है। उन्होंने भारत को पुनः विश्व गुरु की ओर अग्रसर होते हुए परंपरा के संरक्षण की बात की। कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य फिल्म अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. यशार्थ मंजुल ने किया जिसमें उन्होंने मुख्य अतिथि का विस्तृत परिचय एवं प्राचीन कला के इतिहास में अभिलेखागारों को सेतु की तरह बताया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। क्षेत्रीय केंद्र, प्रयागराज के अकादमिक निदेशक द्वारा अतिथि का स्वागत विश्वविद्यालय का स्मृति चिह्न, पुष्प गुच्छ, सूत की माला एवं शाल भेंट कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन फिल्म विभाग की शोधार्थी अर्चना निगम ने किया तथा फिल्म अध्ययन विभाग की सहायक आचार्य डॉ. सुरभि विप्लव ने आभार माना। कार्यक्रम में डॉ. अवंतिका शुक्ला, डॉ. सुप्रिया पाठक, डॉ. आशा मिश्रा, डॉ. अख्तर आलम, डॉ. मिथिलेश कुमार तिवारी, डॉ. सत्यवीर, डॉ. विजया सिंह, डॉ. अनूप कुमार, डॉ. श्याम सिंह, जयेंद्र जायसवाल, सुभाष श्रीवास्तव, राहुल त्रिपाठी, राकेश यादव, मीनू त्रिपाठी, सृष्टि गुप्ता, रत्नेश कुमार त्रिपाठी सहित केंद्र के कर्मचारी, विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित थे।