विकसित भारत के लिए प्रौद्योगिकी का विकास आवश्यक- प्रो. मंदार भानुशे

वर्धा/संवाददाता महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में “विकसित भारत और प्रौद्योगिकी’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुंबई विश्वविद्यालय के दूर शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख प्रो. मंदार भानुशे ने कहा कि विकसित भारत२०४७ के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रौद्योगिकी का विकास आवश्यक है। विकसित भारत२०४७ व्याख्यानमाला के अंतर्गत मंगलवार, २८ जनवरी को महादेवी वर्मा सभागार में विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वर्धा समाज कार्य संस्थान के निदेशक प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने की। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. आनंद पाटील की प्रमुख उपस्थिति रही। प्रो. भानुशे ने कहा कि भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में निरंतर आगे ब़ढ रहा है। उन्होंने स्टार्टअप इंडिया, यूपीआई से भुगतान, डिजिलॉकर आदि अभियानों की चर्चा करते हुए बताया कि भारत कृषि उद्योग प्रधान देश रहा है। इतिहास में हर गांव सार्वभौम देश की तरह चलता था।

धर्म के मूल्यों के आधार पर प्रौद्योगिकी का विकास होना चाहिए। हाल के वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों से पता चलता है की हम इस क्षेत्र में दुनिया में आगे ब़ढ रहे हैं। भारत सरकार ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाया है, जिसके चलते विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की जा रही हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि तकनीकी के माध्यम से भारत विकसित बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने कहा कि भारत एक शिल्प प्रधान देश है। यह सामहिक चेतना आर व्यक्ति की गरिमा का भी देश है। हमे विकासित भारत बनाने के लिए अपने काम करने के तरीके में प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना चाहिए। प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने प्रो. मंदार भानुशे का स्वागत सूतमाला, प्रतीक चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर किया।

कार्यक्रम का संयोजन शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. हेमचंद्र ससाने ने किया। संचालन एवं स्वागत शिक्षा विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. सीमा बर्गट ने किया तथा आभार शिक्षा विद्यापीठके अधिष्ठाता प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर ने माना। कार्यक्रम का प्रारंभदीप प्रज्ज्वलन एवं कुलगीत से तथासमापन राष्ट्रगान से किया गया। इस अवसर पर प्रो. अवधेश कुमार,प्रो. जनार्दन कुमार तिवारी, डॉ. रामानुज अस्थाना, डॉ. मनोजराय, डॉ. शैलेश कदम, डॉ. संदीपसपकाळे, डॉ. हर्षलता पेटकर,डॉ. शिव सिंह बघेल, डॉ.मुन्नालाल गुप्ता, डॉ. कोमल कुमारपरदेशी, डॉ. संदीप पाटील, डॉ. धीरज मसराम, डॉ. मीरा निचळे, डॉ. श्रीनिकेत कुमार मिश्र, डॉ. वागीश राज शुक्ल, डॉ. तक्षाशंभरकर, डॉ. आदित्य चतुर्वेदी, प्रिती खोडे, बी.एस. मिरगे सहित शोधार्थी एवं विद्यार्थी ब़डी संख्या में उपस्थित थे।

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